चाह नहीं मुझे लंबी लंबी गाडियों की
चाहु बस एक छोटा सा आशियाना
जहा कर सकू अपने जी की
चाह हैं बस खुल कर जीने की
खुल कर बोलने की
चाहु बस एक छोटा सा आशियाना
जहा कर सकू अपने मन की
जहा रो लूं खुल कर
जहा बोल सकू खुल कर
चाहु बस एक छोटा सा आशियाना
जहा कर सकू अपने मन की
जो लगे न मुझे पराया
सजाऊ जिसे अपने चाहा
चाहु बस एक छोटा सा आशियाना
जहा कर सकू अपने मन की
और चाहु तुझे जिस संग
जिसने सिखाया जिंदगी हैं पलों का अफसाना
चाहु बस एक छोटा सा आशियाना
जहा कर सकू अपने जी की
चाहें हो छोटा सा जहा
पनपता हो प्रेम जहा
चाहु बस एक छोटा सा आशियाना
जहा कर सकू अपने जी की
कहते हैं लड़कियों का
न होता हैं घर कोई अपना
में तो बस खोजू घर तुझमें कही
जिससे कह सकू में मेरा आशियाना