Wednesday, 1 May 2024

आशियाना

चाह नहीं मुझे बड़े बड़े घरों की
चाह नहीं मुझे लंबी लंबी गाडियों की 
चाहु बस एक छोटा सा आशियाना
जहा कर सकू अपने जी की

चाह हैं बस खुल कर जीने की
खुल कर बोलने की 
चाहु बस एक छोटा सा आशियाना
जहा कर सकू अपने मन की

जहा रो लूं खुल कर 
जहा बोल सकू खुल कर 
चाहु बस एक छोटा सा आशियाना
जहा कर सकू अपने मन की

जो लगे न मुझे पराया 
सजाऊ जिसे अपने चाहा 
चाहु बस एक छोटा सा आशियाना
जहा कर सकू अपने मन की

और चाहु तुझे जिस संग 
जिसने सिखाया जिंदगी हैं पलों का अफसाना 
चाहु बस एक छोटा सा आशियाना
जहा कर सकू अपने जी की

चाहें हो छोटा सा जहा 
पनपता हो प्रेम जहा 
चाहु बस एक छोटा सा आशियाना
जहा कर सकू अपने जी की 

कहते हैं लड़कियों का 
न होता हैं घर कोई अपना 
में तो बस खोजू घर तुझमें कही
जिससे कह सकू में मेरा आशियाना