क्यू यह मन तुझे चाहता हैं इतना?
क्यू रहने के लिए तेरे संग इतनी मिन्नते करता हैं यह मन?
क्यू नही समझता यह मन
कितना भी समझाया इसको पर दिल हैं की मानता ही नही
क्यू यह मन तुझे चाहता हैं इतना?
क्यू?
क्यू रो रो कर किया हैं बुरा हाल तूने अपना
पता हैं तुझे सब
की रहना हैं तुझे उससे दूर ही
फिर भी
क्यू रहने के लिए तेरे संग इतनी मिन्नते करता है यह मन?
क्यू रोता हैं यह मन
कैसे समझाऊं इस मन को
कोई बताएं मुझे
कैसे समझाऊं इसको
की जो यह चाहता हैं , हैं नहीं तेरे लिए
रहना हैं ऐसे ही किस्मत तेरी
मान लेगा तू जितनी जल्दी मिलेगा सुकून तुझे
उतनी ही जल्दी
लगता हैं मन मेरा नही चाहता सुकून
इसीलिए रट लगाए बैठा हैं की
रहना हैं तेरे संग ही
कोई बताएं मुझे कैसे समझाऊं इसको ?
क्यू यह मन इतना रोता हैं??
Piccredit: @ggoruvi on Instagram