Thursday, 11 August 2022

अकेलापन


सब के आसपास होते हुए भी 
हूं में अकेली

क्या इसी लिए थामी थी
तेरी हथेली

जब होते हो तुम आसपास
कैसे होती हु में चहकी हुईं

जब नही होते  हो आसपास
तो हो जाती हूं में सहमी सी अकेली सी

क्या थामा था हाथ तेरा 
इसीलिए की

छोड़ जाए तू मुझे अकेली सी

क्यों लगता हैं अकेलापन
तुझ बिन

सोचती हूं कई बार में
क्यों आई तेरी में बातों में

क्यों आई में तेरी बातों में 
रह रही हूं तेरी यादों में

होता हैं इंतजार तेरे आने का

क्या गुजर जायेगी जिंदगी ऐसे ही
 तेरे इंतजार में

क्यों होती हूं में अकेली

कहती हूं में सभी से
मत लगाना मन किसी से

अच्छे हो जैसे हो

रह न पाओगे चाह कर किसी को
 

1 comment: